अगर “All men are potential rapists” तो फिर “All women are potential blackmailers” क्यों नहीं?
ऐसी अनेकों घटनाएँ हर रोज सामने आती रहती हैं जहाँ महिलाएँ बलात्कार और छेडखानी जैसे आरोप लगा देने की धमकी देकर ब्लैकमेल करती हैं।
ऐसी अनेकों घटनाएँ हर रोज सामने आती रहती हैं जहाँ महिलाएँ बलात्कार और छेडखानी जैसे आरोप लगा देने की धमकी देकर ब्लैकमेल करती हैं।
अगर आप इस तरह की किसी परिस्थिति में फंसते हैं तो मदद मांगने से हिचकिचाएं नहींI अपने परिवार से और शुभचिंतकों से बात करें। वे आपको इससे निकलने का कोई ना कोई रास्ता अवश्य ही सुझाएंगे।
इनकी रचनाओं में स्त्रियों की कथित महानता का मूल आधार अगर देखें तो वह सिर्फ उनकी मां बनने की क्षमता है। यह पूर्णतः प्राकृतिक है। स्त्रियों ने इसे चुना नहीं है।
हे निर्लज्ज वामपंथियों, इतनी मक्कारी कहाँ से लाते हो? और क्या तुम्हें इस मक्कारी का प्रदर्शन करते हुए लज्जा का अनुभव नहीं होता?
मूल संविधान की प्रस्तावना में पंथनिरपेक्ष, समाजवादी और अखंडता शब्द सम्मिलित नहीं थे। डॉ भीमराव अंबेडकर भी संविधान में सेकुलर जैसे शब्दों को शामिल किए जाने के विरोधी थे।
उचित तो यही होगा कि राहुल गांधी कांग्रेस के युवा नेताओं में मची भगदड को रोकने के लिए या तो कुछ प्रभावी कदम उठाएँ या फिर पार्टी हित में इस्तीफा देकर मार्गदर्शक मंडल का गठन करें।
ऐसी अनेकों घटनाएँ हर रोज सामने आती रहती हैं जहाँ महिलाएँ बलात्कार और छेडखानी जैसे आरोप लगा देने की धमकी देकर ब्लैकमेल करती हैं।
अगर आप इस तरह की किसी परिस्थिति में फंसते हैं तो मदद मांगने से हिचकिचाएं नहींI अपने परिवार से और शुभचिंतकों से बात करें। वे आपको इससे निकलने का कोई ना कोई रास्ता अवश्य ही सुझाएंगे।
इनकी रचनाओं में स्त्रियों की कथित महानता का मूल आधार अगर देखें तो वह सिर्फ उनकी मां बनने की क्षमता है। यह पूर्णतः प्राकृतिक है। स्त्रियों ने इसे चुना नहीं है।
हे निर्लज्ज वामपंथियों, इतनी मक्कारी कहाँ से लाते हो? और क्या तुम्हें इस मक्कारी का प्रदर्शन करते हुए लज्जा का अनुभव नहीं होता?
पंडित जी की बातों से एक चमचा पत्रकार अजीत अंजुम चिढ गए। पत्रकारिता के नाम पर एजेंडा चलाने वाले वामपंथी टट्टू अजीत अंजुम ने पंडित जी के बारे में कटाक्ष करते हुए लिखा कि उन्हें ये सब भगवान राम ने खुद फोन करके बता दिया होगा।
मूल संविधान की प्रस्तावना में पंथनिरपेक्ष, समाजवादी और अखंडता शब्द सम्मिलित नहीं थे। डॉ भीमराव अंबेडकर भी संविधान में सेकुलर जैसे शब्दों को शामिल किए जाने के विरोधी थे।
उचित तो यही होगा कि राहुल गांधी कांग्रेस के युवा नेताओं में मची भगदड को रोकने के लिए या तो कुछ प्रभावी कदम उठाएँ या फिर पार्टी हित में इस्तीफा देकर मार्गदर्शक मंडल का गठन करें।